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लेखनी प्रतियोगिता -13-Aug-2022


उम्र अब रुकने लगी है
देह अब थकने लगी है
कैसे खामोशी से हमपे
वक्त ने पहरा दिया है।

सफर अब जमने लगा है
बदन भी थमने लगा है
आयु ने अपनी पताका
जिस्म पर फहरा दिया है।

नजर अब जाती है आधा
थकन भी लगती है ज़्यादा
पर जन्म भर की कमाई 
ने जख्म गहरा दिया है।।



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16 Comments

Pankaj Pandey

15-Aug-2022 08:02 AM

Nice

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Anshumandwivedi426

15-Aug-2022 02:15 PM

Thanks

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Anshumandwivedi426

14-Aug-2022 03:35 PM

सादर धन्यवाद

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Raziya bano

14-Aug-2022 10:39 AM

Behtareen

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Anshumandwivedi426

14-Aug-2022 03:35 PM

कोटिशः धन्यवाद

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